विश्वकप 2015 में अब तक टीम इंडिया का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. टीम के खिलाड़ी रन बना रहे हैं, गेंदबाज़ विकेट ले रहे हैं, कप्तान भी अपनी कप्तानी से टीम जो जोड़कर रख पाने में, सफल हो रहे हैं. तो कुल मिलाकर हम खेल प्रेमी भारत के खेल से काफी हद तक खुश हैं.
लेकिन आपने अगर भारत का आखिरी लीग मैच जिम्बाबे के साथ देखा हो तो आप समझ सकते हैं कि एक छोटी सी टीम के खिलाफ भारत एक बार को मुश्किल में आ गया था. कप्तान धोनी के साथ रैना की साझेदारी अगर नहीं होती तो यह मैच भारत हार गया होता.
भारत की गेंदबाज़ी भी मैच में कुछ ख़ास नहीं रही थी, 287 रनों का विशाल स्कोर हमारे सामने जिम्बाबे ने बनाया था.
अब विश्व कप में नाकआउट दौर प्रारंभ हो चुका है. भारत 19 मार्च को क्वाटर फाइनल खेल रहा है. अब इस समय में टीम इंडिया को ध्यान रखना होगा कि टीम की एक गलती भी, उसको बड़ी हानि पहुंचा सकती है और भारत देश के विजेता बनने के सपने पर पानी फेर सकती है.
देखते हैं कि क्या-क्या खामियाँ हैं, जिन पर टीम इंडिया को वक़्त रहते ही काम कर लेना चाहिये-
बेशक भारत अपने सारे मैच मैच जीत चुका है और विश्व कप में अव्वल नंबर पर बना हुआ है, लेकिन कप्तान धोनी और टीम को यह समझना होगा कि कोई टीम कमजोर नहीं है. हर मैच जीतना है तो अहंकार की जगह आत्मबल से ही काम लेना होगा. जिम्बाबे के खिलाफ यह गलती हो चुकी है.
भारतीय टीम को और टीम मैनेजमेंट को इस तरफ ध्यान देना चाहिये कि कुछ मैचों को छोड़कर, टीम का मिडिल आर्डर परेशान कर रहा है. उपकप्तान कोहली खेल नहीं पा रहे हैं. अजिंक्या रहाणे टीम को कुछ ज्यादा सपोर्ट नहीं दे रहे हैं. ऐसे में टीम इंडिया को इस बात पर गौर करना होगा कि यह एक बड़े मैच में बड़ी दिक्कत ना बन जाए.
पिछले विश्व कप में, युवराज सिंह ने 15 विकेट्स लिए थे. टीम के लिए एक पार्ट टाइम बॉलर की भूमिका इन्होनें अच्छे से निभाई थी. इस विश्व कप में हमारे पास कोई भी अच्छा पार्ट टाइम गेंदबाज नहीं है. धोनी को हर मैच में इस बात का ध्यान रखना होगा कि मुख्य बॉलर ही, अपनी भूमिका सही से निभाते रहें. इस भूमिका में रैना और कोहली पर हम ज्यादा भरोसा नहीं कर सकते हैं.
रोहित शर्मा और रविन्द्र जडेजा ने अब तक विश्व में कुछ ख़ास नहीं करके दिखाया है. यह टीम की एक बड़ी कमजोरी बन रहे हैं. रोहित जहाँ रन नहीं बना रहे हैं. वहीं जडेजा ना गेंदबाजी अच्छी कर रहे हैं और ना बल्ले से कुछ कमाल दिखा रहे हैं. वर्ल्ड कप में अबतक रोहित शर्मा के बल्ले से 6 मैचों में 31.80 की औसत से मजह 159 रन निकले हैं. रवींद्र जडेजा ने 6 मैच में 5.32 की इकॉनामी से 259 रन लुटाकर 7 विकेट अपने नाम किए हैं. जबकि बल्लेबाजी में जडेजा ने 6 मैच की 3 पारियों में 6.00 की औसत से 18 रन बनाए हैं. अब कप्तान धोनी को या तो दोनों का कोई विकल्प देखना चाहिए या दोनों से अपनी बेस्ट परफॉरमेंस टीम को देने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
टीम इंडिया की इस खामी को हम आज से नहीं बल्कि सालों से जानते हैं. पहले टीम काफी अच्छा खेलती है लेकिन जब भी बड़े मैच आते हैं, टीम इंडिया इस दबाव को झेल नहीं पाती है. कप्तान गांगुली के साथ भी ऐसा ही कुछ था. धोनी भी कई मौकों पर दबाव नहीं सहन कर पाए हैं. अक्सर भारत जिस सीरीज में पहले खेलता है, वह बाद के महत्वपूर्ण मैचों में फ्लॉप साबित हो जाता है. टीम को इस बात का भी ध्यान रखना होगा.
हम तो यही उम्मीद करते हैं कि भारतीय टीम को इन खामियों का सामना ना ही करना पड़े, लेकिन अपनी कमियों पर वक़्त रहते काम करने वाला, बहुत कम हारता है. टीम को अपनी इन खामियों पर जल्द से जल्द ध्यान दे लेना चाहिए.
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