इन्हें कोई परिचय की ज़रूरत नहीं, दुनिया जानती है कि वह एक महान कवि और राजनेता हैं.
वह अन्ना हज़ार जी के भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान का एक प्रमुख चेहरा रहे हैं, हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की अविस्मरनीय जीत के वजीर भी रहे है.
कुछ ही ऐसे कवि होते हैं जिनकी बोली की मिठास हर वर्ग के लोगों को रास आती है, उनमें से एक कुमार विश्वास हैं. ना जाने कितने युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं वह. एक दौर था जब हर किसी के मोबाइल में इनकी कविता के वीडियो क्लिप रहते थे, जी हाँ वही, ‘कोई दीवाना कहता है’ कविता वाले .उसी के साथ कुमार की तरक्की दिन दुगनी, रात चौगनी बढ़ रही है.
दुनिया पर व्यंग तो हर कोई कर सकता है, पर बहुत कम होते है जो ख़ुद की भी खिल्ली उड़ा सकते हैं, कुमार इनमे से एक हैं.
आज के युग में जहाँ अंग्रेजी रैप का जमाना है, वहीँ ऐसे समय में लोगों को दोबारा हिंदी भाषा से प्रेम करना, यह काफी मुश्किल काम है और इस के लिए हमें कुमार को सराहना चाहिए. इनकी कवितायेँ, केवल कवितायेँ न रहकर, अपने आप गाने में परिवर्तित हो जाती हैं. नहीं, हम यह नहीं कह रहे कि यह कविताए फ़िल्मों से अपनाए जाती हैं बल्कि यह लोगों का प्रेम ही है जो कविताओं को गुनगुना कर उसे लोकप्रिय बना लेते हैं. बहुत कम ऐसे कवि मिलेंगे जो व्यंग्य और प्रेम दोनों ही बखूबी लिख पाते हैं. इन्होंने कहा था कि “it’s better to be a good poet then a bad engineer”. वे दिल्ली की एक कॉलेज में पढ़ाते भी थे और इन्होंने काफी कम आयु में हिंदी साहित्य में PhD प्राप्त कर ली थी और इसीलिए इन्हें “कविराज” की उपाधि प्राप्त है.
हिंदी साहित्य का संरक्षण करने में और उसे आगे बढाने में कुमार विश्वास जी का अभूतपूर्व योगदान रहा है. उसी योगदान को हम यह लेख समर्पित करते हैं.
डॉ. कुमार विश्वास जी की 5 सबसे अच्छी रचनाए:
1) कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है: इस कविता का यह सूची में प्रथम स्थान मिलने से आपको कोई आश्चर्य नहीं होगा. जब-जब कुमार किसी सम्मलेन या प्रदर्शन में जाते हैं तब इनकी यही कविता सबसे अधिक सुनाने को कही जाती है.
2) एक पगली लडकी के बिन: यह कविता केवल एक कविता नहीं, पर उससे कुछ ज्यादा ही है. इसमें कुमार तो केवल एक माध्यम हैं जो लाखों दिलों कि भावना को बयान करते है.
3) तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाउँगा: कुमार ने इस कविता से युवाओं का हिंदी के प्रति नज़रिए को ही पूर्ण रूप से बदल दिया है. यह कविता नहीं बल्कि इज़हार है एक व्यक्ति का, उसकी प्रेमिका के लिए.
4) क्या अजब रात थी: इस कविता में मोहब्बत को बड़े प्यार से शब्दों में तब्दील कर दिया है कुमार जी ने. कविता में दिल की कसक को उतार कर सामने रख दिया गया है.
5) होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो: यह हम जानते है कि कुमार हिंदी के साथ उर्दू के भी बड़े भक्त है. यह हिन्दुस्तानी भाषा में लिखी हुई कविता जो उन्होंने माँ भारती के चरणों में समर्पित की है. शायद अधिक लोगों को इस गीत के बारे में पता नहीं होगा, पर यह तो पता ही है कि कुमार विश्वास जी कि राष्ट्र भक्ति अप्रतिम है.
यह कहना ‘काफी गलत है कि ये सभी कवितायें सर्वश्रेष्ठ हैं क्योंकि, कुमार द्वारा रची हुई हर कविता की अपनी अलग मिठास है. किसने सोचा था कि आज के युवाओं को एक बार फिर हिंदी कविताओं में दिलचस्पी आएगी!