बच्चे गायब हो रहे है – वैसे तो कई सदियों से देश की आधी आबादी खौफ में जीती आई है।
लेकिन हाल की घटनाओं ( कठुआ रेप, उन्नाव रेप कांड, हरियाणा रेफ कांड आदि) पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि अपराधियों का अब टारगेट कोई और बन गया है। अब अपराधियों को अपनी विकृत मानसिकता को पोषित करने के लिए महिलाओं से भी ज्यादा सॉफ्ट टारगेट (बच्चे) मिल गया है जो ना तो अपने लिए आवाज उठा पाते हैं और ना ही विरोध कर पाते हैं।
इसके अलावा इनके साथ किसी भी तरह की घटना को अंजाम देने के बाद मारकर सबूत मिटाना आसान होता है।
बच्चों पर होने इन सारे अत्याचारों के कारण ही हर दिन कई बच्चे गायब होते हैं।
बच्चे गायब हो रहे है
48 हजार बच्चे हो रहे गायब
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार हर साल देश में करीब 48 हजार बच्चे गायब होते हैं। जिनमें से ज्यादातर या तो रेप के बाद मार दिए जाते हैं या भिक्षावृत्ति के पेशे में धकेल दिये जाते हैं। वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2016 में भारत में महिलाओं के साथ 38 हजार से ज्यादा बलात्कार की घटनाएं महिलाओं के साथ हुईं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों के गायब होने की संख्या महिलाओं के साथ हो रही हिंसक घटनाओं की तुलना में 10 हजार ज्यादा है।
बच्चे ज्यादा खतरे में
बच्चों के साथ खतरे ज्यादा जुड़े हुए हैं। क्योंकि बच्चों के गायब होने के बाद उन्हें या तो देह व्यापार या फिर भिक्षावृत्ति के व्यापार में धकेला जाता है। इसी कारण देह माफिया के तर्ज पर ही आज देश में भीख माफिया भी एक बड़ा उद्योग बन गया है। इसलिए हाल ही में बच्चों के साथ यौन शोषण के डर के साथ ही गायब कर भीख मांगने के पेशे में धकेलने का भी डर होता है।
अलग सा कानून हों बच्चों के मामलों पर
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बच्चों को यौन शोषण या बलात्कार करने वाले अपराधियों की सजा को लेकर कड़े कानून बनाने की जरूरत है। अदालत ने संसद को सलाह दी कि वह बच्चों से बलात्कार के मामलों में अलग से कानून बनाने में विचार करे। इन घटनाओं का विचारणीय पहलू यह है कि दुष्कर्मों को रोकने के लिए सरकार द्वारा कठोरतम कानून बनाए जाने के बावजूद ऐसा घटवनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। बल्कि दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं।
लड़कों के साथ ज्यादा यौन शोषण की घटनाएं
घर-परिवारों और रिश्तेदारों द्वारा रोजाना यौन शोषण के आते मामले को देख महिलाओं ने अपने बच्चियों को सुरक्षित रखने के लिए खुद से कोशिश तो शुरू कर दी लेकिन इन कोशिशों में वे ये भूल गईं कि ये अपराधी अपनी यौन तुष्टि के लिए बच्चियों के अलावा लड़कों को भी अपना टारगेट बना सकते हैं। जिसके कारण अप्रैल में आई SCERT की रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों से ज्यादा लड़के यौन शोषण के शिकार होते हैं। वहीं 2017 में आी महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की आई रिपोर्ट भी यही दर्शाती थी कि लड़कों का यौन शोषण लड़कियों की तुलना में ज्यादा होता है। 2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 53.22 फीसदी बच्चों को यौन शोषण का सामना करना पड़ा जिसमें से 52.94 फीसदी लड़के इन यौन उत्पीड़न के घटनाओं के शिकार हुए।
कैसे रुकेंगी ये घटनाएं
बच्चे गायब हो रहे है – कुत्सित प्रवृत्ति के कारण होने वाली ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नैतिक आदर्शों और अर्थपूर्ण व्यवहारों को जगह देनी होगी। साथ ही कड़े कानून भी लाने होंगे। आखिर कब तक व्यवस्था और कानून की लचरता बच्चों को भय और मजबूरी के हालातों में जीने को विवश करेगी?
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