प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गयी. 21 महीने के आपातकाल के दौरान जिसने भी आवाज़ उठाने की कोशिश की, उसे मीसा और रासुका जैसी धाराएं लगाकर जेल में डाल दिया गया. इन 21 महीनो में जुल्म की इन्तेहा कर दी गयी. बच्चे, बूढ़े, महिला, नौजवान किसी को भी नहीं बख्शा गया.