बिहार में जयप्रकाश नारायण का छात्र आन्दोलन सम्पूर्ण क्रांति का रूप ले चूका था.
ऐसे में अपने कुछ सलाहकारों और संजय गाँधी की बात मान कर इंदिरा गाँधी ने आपातकाल को ही अपने बचाव का कारगर विकल्प माना. सभी नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया. आपातकाल की पूर्व संध्या और अगले ही दिन देशभर के सभी दलों के बड़े नेताओं को जेल में ठूस दिया गया.