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33 करोड़ देवी देवता नहीं है सनातन धर्म में – जानिए असल में कितने ईश्वर है हिन्दू धर्म में !

अक्सर ये बात सुनने को मिलती है कि हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता है.

यदि नाम पूछो तो कोई नहीं बता सकता और ना ही कोई ये बताता है कि किस वेद ,पुराण या ग्रन्थ में सनातन धर्म के 33 करोड़ देवी देवताओं का वर्णन है.

आज हम आपको बताते है कि असल में कितने भगवान है हिन्दू धर्म में.

क्या है 33 करोड़ देवी देवताओं की कहानी के पीछे का सच?

सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी देवता नहीं है. 

हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार सम्पूर्ण सृष्टि को चलाने वाला एक ही ईश्वर है. वही शिव है, वही विष्णु और वही ब्रह्मा.

उस ईश्वर के अलग अलग कार्यों की वजह से उसे अलग अलग नाम दिया जाता है. सृष्टि का निर्माण करते समय वही ईश्वर ब्रह्मा कहलाता है, पालनकर्ता के रूप में उसे विष्णु कहते है और जब वही ईश्वर सृष्टि का संहार करता है तो उसे शिव कहते है.

सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथों में पुराण और उपनिषदों का विशेष स्थान है. एक ईश्वर और उसके रूपों के बारे में भी इन्ही उपनिषदों में से एक में विस्तृत वर्णन किया गया है.

इस उपनिषद के अनुसार इश्वर केवल एक है और 33 उसके अलग अलग रूप है. इसका मतलब ये है कि 33 हज़ार, 33 लाख या 33 करोड़ देवी देवता सब गलत आंकड़े है. सच तो ये है कि ये संख्या केवल 33 है.

इन 33 शक्तियों या देव अंशों की भी विस्तृत रूप से व्याख्या की गयी है.

एक सर्वशक्तिमान ईश्वर के अलावा 8 वसु, 11 रूद्र, 12 आदित्य मिलकर ये संख्या 31 करते है और इंद्र और प्रजापति मिलकर 33 हो जाते है.

इन 33 ईश्वर अंशों से ही सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण होता है.

8 वसु

8 वसु मिलकर पूरे ब्रह्मांड का निर्माण करते है.

अग्नि, वायु,आकाश,सूर्य, स्वर्ग, चंद्रमा,जल और तारे ये सब 8 वसु है और ब्रह्मांड का निर्माण इनसे ही होता है. इन्ही से जीवन का निर्माण होता है. हर चल अचल वास्तु इन्ही 8 तत्वों से बने है.

11 रूद्र 

मानव अंग और संवेदनाओं को मिलाकर 10 रूद्र होते है और 11 रूद्र मस्तिष्क को माना जाता है. 8 तत्वों से बने शरीर में जान इन्हीं 11 रुद्रों की वजह से आती है.

जब ये 11 रूद्र शरीर छोड़ देते है तो मनुष्य का शरीर प्राणहीन हो जाता है.

12 आदित्य 

12 आदित्य वर्ष के 12 महीने होते है. सृष्टि की गति इन्हीं 12 आदित्यों के अनुसार चलती है. से चक्र, दिन रात और ऋतुओं का बदलना सभी कुछ इन्हीं 12 आदित्यों की देन है.

ये सब मिलाकर संख्या 31 होती है और कुछ लोग इंद्र और प्रजापति तो कुछ लोग दो अश्विनी कुमारों को जोड़ कर ये संख्या 33 बताते है.

इस तरह असल में ईश्वर तो सनातन धर्म में भी एक ही है और उसके 33 अलग अलग तत्व है जो सृष्टि का निर्माण भी करते है और इस सृष्टि को चलाते भी है.

उपनिषदों में 33 कोटि देवों के बारे में लिखा गया है लेकिन इसमें कोटि का अर्थ करोड़ नहीं है, कोटि का यहाँ अर्थ प्रकार है.

इस तरह उपनिषद में 33 कोटि का अभिप्राय ईश्वर के 33 प्रकार से है ना कि 33 करोड़ देवी देवता .

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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