12 सितम्बर को सिख सैनिकों की एक छोटी सी टुकड़ी हवलदार इसर सिंह के नेतृत्व में सीमा की रखवाली कर रही थी. तभी सुबह के लगभग 9 बजे 10 हजार से अधिक की संख्या वाली अफगान फौज ने चौकी पर हमला कर दिया.
भारतीय सैनिकों ने अंग्रेज सैनिकों को मदद के लिए संदेश भेजा किन्तु उन्होंने तुरंत सहायता में असमर्थता की बात कही.
अब जब अफगानी सैनिकों ने इन सैनिकों को ललकारा तो इन 21 सैनिकों ने अंतिम सांस तक अफगानी सैनिकों को टक्कर दी और सभी 21 सैनिकों ने मरने से पहले इनके 600 अफगानी सैनिकों को मार गिराया था.
जबतक अंग्रेज फौज नहीं आई थी इन 21 सैनिकों ने तबतक इस लड़ाई को लड़ा और अफगानी सैनिकों को सीमा के अन्दर घुसने नहीं दिया था और बाद में अंग्रेजों ने भी इन सभी सैनिकों को मरणोपरांत ब्रिटिश शासन द्वारा इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट सम्मान दिया गया जो वर्तमान के परमवीर चक्र के बराबर है.
आज भी भारतीय सेना इन सैनिकों की याद में सिख सरगढ़ी डे मानती हैं.
हम हमेशा दो हजार वर्ष पूर्व स्पार्टा में लियोनायडस 300 सैनिकों की लड़ाई पर तो बात करते है किन्तु इन 21 बहादुर योद्धाओं की गाथा हमें पता ही नहीं होती है.
शायद इसीलिए हमें आवश्यकता कि भारत के इतिहास को दुबारा लिखा जाए और अंग्रेज एवम मुग़ल इतिहास को अब खत्म किया जाये.