फुटबॉल वर्ल्ड कप – खेलों को अकसर किसी की रोमांचक जीत या हार के लिए याद किया जाता है लेकिन इतिहास में जब भी 1966 के फुटबॉल वर्ल्ड कप का जिक्र होगा तब हार जीत का नहीं बल्कि वर्ल्ड कप की ट्रॉफी के चोरी होने का होगा।
20 मार्च 1966 का दिन फुटबॉल वर्ल्ड कप के इतिहास में किसी जीत हार के लिए नहीं बल्कि ट्रॉफी चोरी होने के लिए दर्ज हो गया है।
फुटबॉल वर्ल्ड कप से पहले जब ट्रॉफी को लंदन के वेस्ट मिनिस्टर के सेंट्रल हॉल में रखा गया तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इसे कोई चोरी कर लेगा। ट्रॉफी को हॉल में प्रदर्शनी के लिए रखा गया था।
दरअसल ट्रॉफी को हॉल में रखकर सभी लोग पूजा करने के लिए हॉल के दूसरे हिस्से में गए हुए थे। जब प्रार्थना से लोग वापस आए तो वो हैरान रह गए। ट्राफी अपनी जगह से गायब थी। इसे किसने गायब किया यह आजतक पता नहीं लग पाया है। हॉल में उस समय मौजूद एक व्यक्ति पर शक जरुर किया गया पर साबित नहीं किया जा सका।
इस ट्रॉफी पर ब्राजील ने आठ सालों से कब्जा जमा रखा था। मैच से पहले ब्राजील ने ट्रॉफी इंटरनेशनल फुटबॉल फेडरेशन एसोशिएशन को सौंप दिया था। इसलिए इसकी जिम्मेदारी एसोशिएशन की थी।
हजारों की संख्या में भरी भीड़ से ट्रॉफी गायब हो गया पर किसी को पता नहीं चला। इसे खोजने में पुलिस प्रशासन फेल हो गई। उनकी इसे खोजने की हर कोशिश नाकाम रही। इसे कोई ढ़ूंढ़ नहीं सका लेकिन एक पालतू कुत्ते ने इसे ढ़ूंढ़ निकाला।
एक सुबह कुत्ता अपने मालिक से साथ टहल रहा था तभी उसने इस फुटबॉल ट्रॉफी को ढ़ूंढ़ लिया। यह फुटबॉल वर्ल्ड कप खाने के एक कागज में लपटा हुआ मिला। यह कचरे में खाने के बेकार कागज में लपटा हुआ फेंका हुआ था।
इसे किसने हॉल से लेकर कचरे की पेटी में फेंक दिया यह आजतक पता नहीं पाया है लेकिन इस चोरी ने सबको हैरान जरुर कर दिया। चोर इतना शातिर था कि उसने एक भी सुराग नहीं छोड़ा।
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