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दिल्‍ली में 22 हज़ार मुसलमानों को एकसाथ दी गई थी फांसी

1857 की क्रांति

1857 की क्रांति भारत के इतिहास में एक अलग ही महत्‍व रखती है।

इस साल भारत एक देश के रूप में पहली बार खड़ा हुआ था और उसे ब्रिटिशों के खिलाफ लड़ाई में जबरदस्‍त जीत भी मिली थी। उस समय देश के कई राजाओं ने अंग्रेज़ों का साथ दिया था जबकि कईयों ने उनके खिलाफ लड़ते हुए अपनी जान दे दी थी।

उस समय भारत का तोड़ने के लिए अंग्रेज़ों ने भारत में हिंदू और मुसलमानों के बीच फूट डालनी शुरु कर दी। ब्रिटिशों को देश से खदेड़ने के लिए हिंदू-मुसलमान दोनों मिलकर लड़े थे और हर हर महादेव के साथ अल्‍लाह हो अकबर के नारे गूंजते थे। बस इसी बात से अंग्रेज़ घबरा गए थे। लड़ाई खत्‍म होने के बाद इसका उपाय किया गया। दिल्‍ली में पकड़े गए हिंदू सैनिकों को छोड़ दिया गया और मुसलमान सैनिकों को फांसी दे दी गई। आपको जानकर हैरानी होगी कि उस समय ब्रिटिशों ने दिल्‍ली में एक साथ 22 हज़ार मुसलमान सैनिकों को फांसी दी थी।

यह तरीका कई जगह आज़माया गया। फिर हिंदुओं को सरकार नौकरी और ऊंचे पद दिए जाने लगे। इस सबसे मुसलमानों को दूर ही रखा गया। इस तरह जनता में हिंदू-मुस्लिम की भावना पनपने लगी। इसके ठीक 20 साल बाद पॉलिसी बदल दी गई। अब मुसलमानों को ऊंचे पदों पर बैठाया जाने लगा और हिंदुओं पर अत्‍याचार किया जाने लगा।

1857 की क्रां‍ति के बाद ऐसे दी गई फांसियां

1857 की क्रांति –

कहा जाता है कि ब्रिटिशों के खिलाफ लड़ाई खत्‍म होने के बाद लगभग 10 लाख हिंदुस्‍तानियों को मारा गया। दस साल तक ये काम गुपचुप तरीके से चलता रहा और एक पूरी पीढ़ी को खड़ा होने से रोक दिया गया। हालांकि, ब्रिटिशों ने कभी इस बात को स्‍वीकार नहीं किया लेकिन रिसर्च की मानें तो नकारने से सच नहीं बदलता। हिटलर ने भी यहूदियों के साथ इतना खून-खराब नहीं किया था जितना कि ब्रिटिशों ने भारतीयों के साथ किया।

उस समय भारत के सभी राजा पुराने ज़माने के हिसाब से चलते थे, उनका आधुनिकता से कोई लेना-देना नहीं है। तब देश में कोई बड़ा शासक नहीं था और पूरा देश रियासतों में बंटा पड़ा था। अगर उस समय राजा-रानियां अपने अंदाज़ में लड़े होते तो देश अपने आप ही आज़ादी की राह पर चल पड़ता। इतिहास में किसी बादशाह या किसी रानी-राजा ने जो भी फैसले लिए वो उस वक्‍त की स्थितियों और समझ के मुताबिक थे। आज के डेमोक्रेटिक मूल्‍यों के आधार पर हम उन फैसलों को तोल नहीं सकते हैं। उन फैसलों के बारे में कोई भी बात देशद्रोह के समान होगी। इतिहास को कभी भी वर्तमान के चश्‍मे से नहीं देखा है।

तो कुछ ऐसा रहा है भारत का इतिहास। आज आप जिस देश में आज़ादी से घूम रहे हैं उसे पाने के लिए हज़ारों-करोड़ों वीरों ने अपना खून बहाया है। इनमें से कुछ वीरों को तो हम याद कर लेते हैं लेकिन कुछ अभी भी गुमनाम हैं। इन सभी को हम एकसाथ श्रद्धांजलि तो दे ही सकते हैं।

ये थी 1857 की क्रांति – इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको ये भी पता चल गया होगा कि अंग्रेज़ों ने भारतीयों पर कितना अत्‍याचार किया है और उनका कितना खून बहाया है।