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16 दिसम्बर: जब 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया भारत ने!

आज 16  दिसम्बर है. 

आप कहेंगे तो इसमें कौनसी नयी बात है ? हर महीने 16 तारिख आती है. हर दिसम्बर में भी 16 तारीख आती है.

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लेकिन ज़रा याद कीजिये बहुत खास है ये दिन. इस दिन अलग अलग वर्ष 3 बड़ी घटनाएँ हुई है जो चाहकर भी नहीं भुलाई जा सकती है.

एक घटना ऐसी है जिसे याद करके आज भी हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.

एक घटना ऐसी है जिसे याद करके इंसानियत भी शर्मसार हो जाती है.

सबसे ताज़ा तीसरी घटना तो 2014 की है जिसे याद करने पर आज भी ना जाने कितने मासूमों की चीखें सुनाई देती है.

आइये आपको याद दिलाते है 16  दिसम्बर को हुई इन 3  महत्वपूर्ण घटनाओं की.

16 दिसम्बर 1971
पाकिस्तान की सेना ने भारत के सामने घुटने टेक दिए. पूर्वी पाकिस्तान को आज़ादी मिल गयी .

एक नए देश का उदय हुआ ‘बांग्लादेश’.

पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच संघर्ष भीषण हो चूका था. पूर्वी पाकिस्तान अब आज़ादी चाहता था. पश्चिमी पाकिस्तान ने विद्रोह को दबाने के लिए सैन्य कार्यवाही की. दोनों तरफ खून बहने लगा.

भारत को भी इस संघर्ष से खतरा लगने लगा क्योंकि भारत ही पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान को अलग करता था.

३ दिसम्बर 1971 को भारत पूर्वी पाकिस्तान की आज़ादी के संघर्ष में शामिल हो गया.

सैन्य ऑपरेशन को नाम दिया गया “ऑपरेशन चंगेज़ खान “.

हमारे देश की जल थल और वायु सेना ने तीनों तरफ से पाकिस्तान को घेर लिया. भीषण युद्ध हुआ. दोनों तरफ के सैनिक मारे गए.

भारतीय सेना की बहादुरी, युद्ध कौशल के आगे पाकिस्तान की एक ना चली और 16 दिसम्बर 1971 का वो ऐतिहासिक दिन था जिस दिन पाकिस्तानी सेना के 93,000 से अधिक सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया गया.

ये इतिहास का महत्वपूर्ण दिन था. इस दिन पाकिस्तान की सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था.

आगे की स्लाइड में देखिये इस दिन हुई अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ 16 दिसम्बर 2012 निर्भया बलात्कार कांड 

वो दिन जिस दिन इंसानियत को बेदर्दी से कुचल दिया गया. “यत्र नर्येस्तु पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता” वाले देश में एक नारी की अस्मिता को न सिर्फ तार तार किया गया बल्कि उसका ऐसा तमाशा बनाया गया जिसके बारे में सोचकर आज भी शर्म आती है.

दिसम्बर की उस ठंडी शाम में एक लड़की अपने एक दोस्त के साथ रात को करीब 9 बजे कहीं बहार से आ रही थी. घर जाने के लिए दोनों ने एक बस पकड़ी, उस लड़की को क्या पता था कि वो बस यात्रा उसकी जिंदगी की आखिरी यात्रा होगी. उस बस में इंसान की शक्ल वाले हैवान बैठे थे.

उन राक्षसों ने ना सिर्फ उस लड़की को अपनी हवास का शिकार बनाया अपितु उसके साथ ऐसी ऐसी हरकतें की जो कोई सोच भी नहीं सकता.

राक्षसों ने पहले उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद उसके गुप्तांगो में रॉड डाल दी. इतने पर भी उनका मन नहीं भरा. उन्होंने उस मरणासन्न लड़की को सडक पर फेंक दिया.

लड़की का घायल दोस्त अपनी लहुलुहान साथी को बचने के लिए लोगों से मदद की गुहार लगाता रहा. लेकिन कोई भी उस लड़की की मदद को आगे नहीं आया. हाँ ये बात और है कि उस लड़की के मरने के बाद जब ये बलात्कार कांड एक आन्दोलन में बदल गया तो उस लड़की को तडपता छोड़ने वाले लोग भी मोमबत्तियां जलाकर घडियाली आंसू बहाने में पीछे नहीं था.

कोमा में ही उस लड़की की मृत्यु हो गयी. उसके बाद शुरू हुआ सरकार और जनता का नाटक. कहीं मार्च, कहीं बैनर कही एक दुसरे  पर आरोप प्रत्यारोप और इन सब के बीच मीडिया ने हर रोज़ उस लड़की का बलात्कार किया.

आज उस घटना को तीन साल हो गए है. 17 साल का वो शैतान जिसने बलात्कार किया था वो सुधार गृह से रिहा हो रहा है. राजनीती के नाम पर अपनी रोटियां सकने वाले और एयर कंडीशनर की हवा में बैठ कर समाज सुधार की चीख पुकार मचाने वाले कहते है कि वो दरिंदा सजा का हकदार नहीं है क्योंकि वो नाबालिग है.

उस दिन के बाद आन्दोलन करने वाले भी अब सब भूल गए है. आज भी हर रोज़ ना जाने कितनी लड़कियां राक्षसों की हवास का शिकार बनती है लेकिन हमारी तो आदत है कि जब तक कोई बात ट्रेंड नहीं होती सोशल मीडिया पर तब तक हम परवाह नहीं करते.

16 दिसम्बर 2014 पेशावर 

इस बार देश था पाकिस्तान और घटना ऐसी कि किसी का भी दिल दहल जाए. आँखों से आंसू निकल पड़े.

माना की पाकिस्तान से हमारे रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे लेकिन ये घटना ऐसी हुई थी कि भारत क्या दुनिया का कोई भी देश ऐसी घटना पर निंदा किये बिना नहीं रह सका.

पेशावर की एक स्कूल पर हुआ फिदायीन हमला. 5-6 साल के मासूम बच्चों को निशाना बनाया गया. आतंकवादियों के हाथ एक पल को भी नहीं काँपे उन मासूमों को गोलियों से छलनी करते हुए.  पूरा इलाका खून से रंग दिया. सैंकड़ों बच्चो को बेदर्दी से मार दिया गया.

मज़हब के नाम पर हुए इस कत्लेआम में बेकुसूर मासूम बलि चढ़े. तस्वीरें ऐसी भयानक थी कि आज भी याद करके रूह कांप जाती है.

ना जाने कब खत्म होगा हैवानियत का ये नंगा नाच.

देखा आपने कितनी खास है आज की तारीख 16 दिसम्बर. इस तारीख में जीत की यादें है तो साथ ही साथ निर्भया की इन्साफ की पुकार है और इसी तारीख में है सैंकड़ों मासूमों की चीखें भी.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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