लगान 2001 में आई एक महान फिल्म. लेखक निर्माता निर्देशक आशुतोष गोवारिकर का एक असम्भव सा सपना.
वो सपना जिसे ना जाने कितने ही लोगों ने ये कह कर नकार दिया कि ये फिल्म बन ही नहीं सकती और अगर बन भी गयी तो बनाने वाला बर्बाद हो जायेगा क्योंकि ऐसी फिल्मे भारत में कोई नहीं देखता.
हर तरफ से हताश होकर आशुतोष मिले आमिर से, आमिर ने भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया, शायद उन्हें भी डर था. बाद में आशुतोष ने लगान की स्क्रिप्ट आमिर को सुनाई और कहानी सुनते सुनते ही आमिर पहुँच गए चंपारण में.
कहानी सुनकर इतने उत्साहित हुए की फिल्म का प्रोड्यूसर बनने को तैयार हो गए.
लगान जो आज हिंदी सिनेमा की किवदंती बन चुकी है. साहस, दृढ़ निश्चय और जूनून की महागाथा. 14 साल बाद भी लगान वैसी ही लगती है जैसी रिलीज़ के वक्त देखने पर लगी थी. एक सच्ची सदाबहार फिल्म.
आइये जानते है लगान के बारे में कुछ अनोखी बातें
लगान कहानी है जुझारूपन की, अदम्य साहस की, संघर्ष की .पर्दे के सामने भी और पर्दे के पीछे भी. हिंदी फिल्म के इतिहास में लगान जैसी फ़िल्में कभी कभी ही बनती है. भारतीय सिनेमा हमेशा ऋणी रहेगा आशुतोष गोवारिकर और आमिर खान का जिन्होंने मिलकर ये अद्भुत फिल्म रची. एक ऐसी फिल्म जिससे भारत की मिटटी की खुशबु आती है.
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