अरबों का खजाना – इतिहास में जानने के लिए इतनी सारी चीज़ें हैं कि अगर आप उनके बारे में जानने बैठेंगें तो एक जिंदगी छोटी पड़ जाएगी। युद्ध भी इतिहास का ही हिस्सा हैं। युद्ध खुद तो इतिहास बन ही जाते हैं लेकिन इनसे जुड़ी भी कई चीज़ें इतिहास का हिस्सा बन जाती हैं।
जी हां, कई बार युद्ध में इस्तेमाल होने वाली चीज़ें भी इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाती हैं। आज हम आपको युद्ध में इस्तेमाल की गई एक ऐसी ही चीज़ के बारे में बताने जा रहे हैं जो इतिहास बनकर भी हज़ारों का खजाना अपने अंदर दबाए बैठी है।
तो चलिए जानते हैं इस खजाने के बारे में जोकि आज इतिहास बन चुका है।
रूसी लड़ाकू जहाज़ में अरबों का खजाना
रूसी लड़ाकू जहाज़ भी इतिहास का हिस्सा बन गया। 113 साल पहले रूस का वारशिव दिमित्री दान्सकोई डूब गया था और अब दक्षिण कोरिया की एक टीम ने इस जहाज़ के अवशेष ढूंढ निकाले हैं। सन् 1905 में रूस और जापान के बीच हुए युद्ध में उलेन्ग्डो आयरलैंड में बहुमूल्य सोने से भरा एक जहाज डूब गया था।
सोने के बिस्किट से भरा था जहाज़
इतिहासकारों की मानें तो इस जहाज़ में सोने के बिस्किट से भरे हुए 5500 बॉक्स रखे हुए थे। दोन्सकोई से सोने की आपूर्ति की जा रही थी जिसकी कीमत आज की तारीख में करीब 133 अरब डॉलर है। इस जहाज़ में अरबों का खजाना था और इसी वजह से इसे पाने के लिए होड़ सी मच गई है। रूस के एक कैंपेन ग्रुप ने जहाज के अवशेष मिलने के बाद मांग की है कि गुड विल के तहत जहाज से मिला सारा खजाना उसे लौटा दिया जाए।
कई सालों से सियोल की कंपनी सिन्हिल ग्रुप इस जहाज़ के अवशेष तलाशने में लगी हुई थी और इस साल के अभियान के लिए दक्षिण कोरिया, चीन, ब्रिटेन और कनाडा की एकसाथ टीम बनाई गई।
अरबों का खजाना – खजाने से भरा ये रूसी जहाज़ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है और ये उलेन्गडो से 1.3 किलोमीटर की दूरी पर 434 मीटर की गहराई में मिला है। इस जहाज़ में कई लोहे के बक्से मिले हैं। अनुमान है कि इनमें ही सोने का खजाना है। अभी तक गोताखोरों ने इन डिब्बों को खोला नहीं है। आपको बता दें कि इस जहाज़ को 1883 में बनवाया गया था और इस जहाज़ में लगभग 200 टन सोना मौजूद है। अगर ये सब वाकई में सच हुआ तो कंपनी दक्षिण कोरिया के उल्गेन्डो के विकास में खजाने का 10 पर्सेंट खर्च करने को तैयार है। जहाज़ के लिए एक म्यूजियम भी खोले जाने की योजना है।
बताया जा रहा है कि अगर जहाज़ में खजाना मिलता है तो इसके मालिक को भी तोहफे में इसका 10 प्रतिशत हिस्सा दिया जाएगा। इस खजाने को रूस और दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया और रूस के बीच रेल परियोजनाओं के लिए खर्च किया जाएगा।
अरबों का खजाना – 1883 में लॉन्च हुआ दोन्सकोई भूमध्य सागर तक ही सीमित था। 1904 में रूस के सेकेंड पैसिफिक स्क्वैड्रॉन में इसकी तैनाती कर दी गई। यह वारशिप वेसेल्स की सुरक्षा में लगा था। मई 1905 में जापानी सेना से युद्ध हुआ जिसे सुशिमा के युद्ध के नाम से जाना गया। इस युद्ध में रूस के 38 में से 21 जहाज़ डूब गए थे।