जहाँ लोग बसते है वहा अपने धर्मं का जतन करने के लिए नए मंदिर, मस्जिद, और गुरूद्वारे बनाते है.
ऐसे में प्राचीन वास्तु ख़ास करके मंदिर गुंफा को कोई नहीं देखता. इन वास्तुओं का रख रखाव करना वैसे तो सरकार का जिम्मा है. किंतु सरकार उन्ही चीजो में दखल देती है जहा उसकी मांग होती है और पैसे गुणा भाग हो सके.
विभिन्न संस्कृतियों से भरे भारत में कई प्राचीन वस्तुए है, जो अपने जिर्णोद्धार के लिए आँखे बिछाए बैठी है. गिरते हुए मंदिर और टूटी हुई मूर्तियां एक उम्मीद के साथ खड़ी है की शायद कोई राजनेता उनके जिर्णोद्धार की सुध ले ले.
ऐसा ही एक पुरातन काल का ११०० वर्ष पुराना मंदिर है कर्णेश्वर, जिसे राज्य संरक्षित स्मारक के नाम से घोषित कर दिया गया है.
इस लिए अब पुरातत्व विभाग इसका जिंर्णोद्धार करने वाला है.
कर्णेश्वर मंदिर
कोल्हापुर के राजा कर्ण (चालुक्य साम्राज्य) ने इस मंदिर को बनवाया था. कसबा गांव में यह मंदिर सबसे अलोकिक है और गांव के लोगों का यह मानना है कि यह मंदिर तो १६०० वर्ष पुराना है. यह मंदिर के अंदर मुख्य भगवान शंकर का पिंड है और मंदिर की दीवारो पर कई देवी देवताओं की आकृतियाँ बनी हुई है. इस लिए यह मंदिर बेहद ही मन मोहक और शांत सुंदर वातावरण में होने के कारण सुकून देने वाली जगह पर बना है.
इतिहास के मुताबिक़ छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र राजा संभाजी महाराज को इसी गांव में औरंगजेब ने नज़र बन्द कर रखा था.
गांव का नाम: कस्बा — तालुका का नाम: संगमेश्वर — जिले का नाम: रत्नागिरी
अब जाके मंदिर का जिर्नोउधार का निर्णय कैसे लिया ?
दरसल यह मंदिर 300 A.D पुराना है.
कर्णेश्वर मंदिर की शिल्पकारी बेहद उत्कृष्ट है जो कही अब देखने नहीं मिलती. देवी देवताओं की मूरत इतने विभिन्न और सुंदर है के आप देखते ही रह जाओगे. शिव भक्ति किसी भी राज्य में कम नहीं यह एक वजह है कि यहां शिव भक्तों का तांता लगा रहता है.
दूसरी बात कि शिल्पकारी को देखने के लिए दूर दराज से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते रहते है. आज के ज़माने में आधुनिक तरीके से बनायी गयी इमारते या मंदिर मस्जिद उपयोग से कुछ दशको के पश्चात ही गिर जाती है. फिर भी यह मंदिर कई दशकों से अपने भक्तों की मुरादे पूरी कर रहा है.
ऐसे में सरकार ने कर्णेश्वर मंदिर को राज्य संरक्षित स्मारक बना दिया है. तब जाके पुरातत्व विभाग ने यहा की सुध ली है और लोगों का इस मंदिर पर भक्ति देख कर इसका जिर्णोद्धार करने की ठानी है.
जब यह मंदिर अपने पूर्व ढंग में आएगा तो यहां और भी भक्त आने की संभावना जताई गई है. साथ में भक्तो और अभ्यासकों को जो दिक्कते हो रही थी वो अब मंदिर देखते वक़्त नहीं रहेगी.
सावन का महिना करीब आ रहा है, ऐसे में यह कर्णेश्वर मंदिर की यह खबर समस्त स्राधालुओं के लिए आनंद उत्सव होगा.