11 साल के बच्चे ने प्रधानमन्त्री को लिखी चिट्ठी…. क्या आया उसका जवाब ??
बहुत से लोग आजकल इस बात को लेकर प्रधानमंत्री को ताना देते है कि वो पूरे समय दुसरे देशों की यात्रा पर रहते है इस वजह से देश में क्या हो रहा है उनको पता ही नहीं चलता.
आम लोगों की समस्या के बारे में वो कुछ जान ही नहीं सकते. कुछ लोग ये भी मानते है कि प्रधानमंत्री मोदी रजा की तरह शासन करते है इसलिए वो हर किसी को उपलब्ध नहीं होते और इस वजह से लोग अपनी बात सीधे प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंचा सकते.
वैसे प्रधानमन्त्री मोदी ने कार्यभार सँभालने के समय से लगातार ये कहा है कि जनता सीधे ही वेबसाइट,ट्विटर या पत्र व्यवहार के माध्यम से सीधे ही उनसे या उनके कार्यालय से सम्पर्क कर सकती है.
लेकिन जिस प्रकार रेल मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से लोग जितनी ज्यादा संख्या में सहायता मांगते है उसकी तुलना में प्रधानमंत्री से सहायता मांगने या सुझाव देने के मामले बहुत कम दिखाई देते है.
ज़रा सोचिये एक 11 साल का मासूम बच्चा यदि अपनी समस्या के बारे में बिना किसी को बताये सीधे प्रधानमंत्री से मदद मांगे तो क्या होगा?
आइये जानते है
उन्नाव के गाँव में एक 11 वर्षीय बालक और उसके परिवार के सदस्यों को उस समय आश्चर्य की सीमा नहीं रही जब उन्हें भारत सरकार के रेल मंत्रालय की तरफ से पत्र आया. इस पत्र में लिखा था कि प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में लिखी गयी समस्या पर कार्यवाही शुरू कर दी गयी है और जल्दी ही समस्या का समाधान कर दिया जायेगा.
हुआ ये था कि उन्नाव के एक गाँव में रहने वाले इस 11 वर्षीय छात्र और उसके साथियों को स्कूल जाने के लिए एक लम्बे रास्ते से जाना पड़ता था. वैसे तो स्कूल तक जाने के लिए एक छोटा रास्ता भी था लेकिन उस रास्ते में बिना फाटक वाली रेलवे लाइन भी थी. इस वजह से छात्र उस रास्ते से नहीं जाते थे.
बार बार स्कूल देरी से पहुँचने की वजह से उसे और उसके मित्रों को सजा मिलती थी. एक दिन उसने बिना किसी को बताये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिख दिया.
सितम्बर में पत्र लिखने के बाद वो छात्र इस बारे में भूल गया. अचानक चार महीनो बाद उस छात्र के घर रेलवे विभाग से पत्र आया जिसमे लिखा था कि प्रधानमंत्री कार्यालय तक उसकी समस्या पहुँच गयी है रेल मंत्रालय इस सम्बन्ध में काम कर रहा है.
रेलवे क्रासिंग के लिए स्थानीय सरकार से भी मशवरा और इज़ाज़त लेनी पड़ती है और इस सम्बन्ध में उनसे बात की जा रही है.
जैसे ही स्थानीय प्रशासन से इज़ाज़त मिल जायेगी वैसे ही समस्या का निराकरण कर दिया जाएगा.
ये पत्र बढ़कर उस बच्चे के घरवालों को पता चला कि उनके बेटे ने गाँव के छात्रों कि समस्या सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंचाई थी और कमाल कि बात ये कि वहां से जवाब भी आ गया.
एक बच्चे कि चिट्ठी पर काम करके प्रधानमंत्री कार्यालय ने सराहनीय काम किया है इससे लोगन में सन्देश जाएगा कि उनकी समस्या सीधे पहुंचाई जा सकती है.
अब देखना ये है कि स्थानीय प्रशासन इसमें कितना सहयोग करता है और उन्नाव के इस गाँव के छात्रों कि समस्या हल होती है और स्कूल के रास्ते के रेलवे क्रासिंग पर फाटक कब लगता है.
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