कार्तिक जींद – संघर्ष से निकलने वाले स्टूडेंट सच में इतिहास रचते हैं.
जिन्हें जीवन में अभाव मिलता है वाही ऊँचे सपने देखते हैं. बचपन में गरीबी और अभाव देखने वाले एक छात्र ने ऐसा कमाल कर दिया कि दसवीं की परीक्षा में वो 500 में से 498 अंक लाकर पूरे प्रदेश में अपना नाम रोशन कर दिया.
ये किसी पढ़े लिखे बाप का बेटा नहीं है.
ये तो एक गरीब और चौकीदार का बेटा है. इस बेटे ने अपनी मरती हुई माँ से ये वादा किया था कि वो सच में उनका सपना पूरा करेगा. माँ तो मर गई लेकिन ये चौकीदार का बेटा उनका सपना पूरा करने की पहली सीढ़ी को पार कर गया.
जानना नहीं चाहेंगे आप कि आखिर वो कौन सा बच्चा है जो इस तरह से अपना ही नहीं बल्कि अपने माँ-बाप का नाम भी रोशन किया.
ये खबर है हरियाणा की. कल को ये बच्चा इस देश को आगे ले जाएगा. पहला स्थान पाने वाले कार्तिक जींद के रोहतक रोड स्थित नव दुर्गा सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र हैं. कार्तिक के पिता प्रेम सिंह पीडब्ल्यूडी में डेलीवेजिज पर चौकीदार हैं. पिछले साल मां का निधन हो गया था. इसके बावजूद कार्तिक ने हिम्मत नहीं हारी. माँ को दिया सपना पूरा करने में लग गया ये बेटा.
ये इतना होशियार है कि इसके नम्बर से ही आप अंदाज़ा लगा सकते हैं. पढ़ाई में होशियार होने के कारण कार्तिक जींद ने कक्षा छह से 10वीं तक स्कॉलरशिप पर पढ़ाई की है. कार्तिक जींद ने अपनी सफलता का मूलमंत्र बताते हुए कहा कि उसने कभी गाइड व ट्यूशन का सहारा नहीं लिया. उसके पास इन सब के लिए पैसा ही नहीं था. वो अपने स्कूल के मास्टरों की मदद लेता रहा. जो भी न समझ आता वो उनसे ही पूछता. हर दिन कम से कम ६ घंटे की पढ़ाई के बाद उसे ये अंक प्राप्त हुए हैं.
कार्तिक जींद पहले गाँव में पढता था. उसके बाद उसे शहर के स्कूल में दाखिला मिल गया. आज पूरा शहर कार्तिक जींद के नाम की चर्चा कर रहा है. कार्तिक की माँ नहीं हैं, लेकिन उसका सपना है याद कार्तिक को, बड़ा होकर आइएफएस बनने की तमन्ना. वो बड़ा होकर अपनी माँ का सपना पूरा करना चाहता है.