दसवीं की बोर्ड परीक्षा – होली खत्म और बोर्ड के एक्ज़ाम का प्रेशर शुरू गया है। हो भी क्यों ना…
आखिर में नौ साल के बाद पहली बार एक्ज़ाम हो रहे हैं और इसी कारण बच्चों से ज्यादा अभिभावकों में बोर्ड की परीक्षाओं को प्रेशर है। लेकिन छात्रों को अब तनाव लेने की जरूरत नहीं है। क्योंकि तनाव को कम करने के लिए सीबीएसई ने दसवीं के छात्रों को राहत देते हुए घोषणा की है कि दसवीं के छात्रों को अब इंटरनल व बोर्ड मिलाकर केवल 33% अंक लाने होंगे।
सोमवार से मतलब की 5 मार्च से दसवीं की बोर्ड परीक्षा शुरू होने वाले हैं। इसको लेकर सीबीएसई ने दसवीं के छात्रों को बहुत बड़ी राहत दी है। बीते दिन सीबीएसई ने घोषणा की है कि अब दसवीं की बोर्ड परीक्षा में पास होने के लिए छात्रों को इंटरनल व बोर्ड में मिलाकर केवल 33% अंक लाने होंगे।
दसवीं की बोर्ड परीक्षा
लाने होंगें केवल 13 मार्क्स
सीबीएसई के नए नियम के अनुसार अब छात्र बोर्ड की परीक्षा में केवल 13 मार्क्स लाकर भी पास हो जाएंगे। क्योंकि इसमें इंटरनल के बीस मार्क्स जुड़ जाएंगे जिसके बाद कुल 33 मार्क्स हो जाएंगे। और पास होने के लिए केवल 33 प्रतिशत मार्क्स लाना ही काफी होगा।
सबसे खास बात है कि इस 33 प्रतिशत मार्क्स में इंटरनल असेसमेंट के मार्क्स भी शामिल होंगे। मतलब की बोर्ड एक्ज़ाम में बच्चों को अब केवल 13 अंक ही लाने होंगे। क्योंकि इस 13 अंक में इंटरनल असेसमेंट के 20 मार्क्स जोड़ देने पर 33 प्रतिशत मार्क्स खुद ब खुद हो जाएंगे और बच्चे पास हो जाएंगे।
मंगलवार को जारी हुई थी नोटिफिकेशन
ये नोटिफिकेशन सेंट्रल बोर्ड ऑफर सेकंडरी एजुकेशन ने मंगलवार को जारी की थी। इस नोटिफिकेशन को सीबीएसई ने अपने साइट में भी अपडेट कर दिया है इसलिए आप वहां भी सारी जानकारी ले सकते हैं। आपको बता दें कि बोर्ड एग्जाम 80 मार्क्स के होते हैं और इसमें इंटरनल असेसमेंट के 20 मार्क्स मिलाकर 100 मार्क्स बनते हैं। सीबीएसई ने यह कदम बोर्ड के छात्रों को राहत देने के लिए उठाया है।
5 मार्च से शुरू हो रहे हैं बोर्ड एग्जाम
इस बार दसवीं के बोर्ड एग्जाम 5 मार्च से शुरू हो रहे हैं और ये एग्जाम नौ साल बाद हो रहे हैं। जिसके कारण छात्रों से ज्यादा उनकी माताएं परेशान हैं। हर कोई बच्चों पर नब्बे प्रतिशत मार्क्स लाने का प्रेशर बना रहा है।सीबीएसई ने पहले कॉम्प्रिहेंसिव और कॉन्टीन्युअस इवेलुएशन (सीसीई) स्कम के साथ बोर्ड एग्जाम को ऑप्शनल कर दिया था। सीसीई सिस्टम को 2017 में बोर्ड ने वापस ले लिया था और दसवीं को बोर्ड एग्जाम को अनिवार्य कर दिया गया।
पहला बैच होने के कारण दी है राहत
सीबीएसई ने बोर्ड के छात्रों को यह राहत नौ साल के बाद पहला बैच होने के कारण दी है। सीबीएसई की चेयरपर्सन अनीता करवाल द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, ‘2017-2018 बैच के दसवीं के छात्रों के लिए ‘पासिंग क्राइटेरिया’ के अनुसार अब छात्रों को हर विषय में कुल मिलाकर केवल 33 प्रतिशत मार्क्स लाने होंगे वह भी इंटरनल असेसमेंट और बोर्ड एग्जाम को मिलाकर।
दसवीं की बोर्ड परीक्षा – तो अब कोशिश करिए की बच्चों को पांच मार्क्स के दस सवाल उन चेप्टर्स से रटा दें जिसमें से सवाल बोर्ड में जरूर पूछे जाते हैं।