- नियति को स्वीकार करना
नियति में जो लिखा हुआ है हमें वह स्वीकार करना आना चाहिए. नियति से ना कोई लड़ सका है और ना ही लड़ सकता है. बस हाँ इसे साथ हम दोस्ती जरूर कर सकते हैं.
यही काम भगवान श्री राम जी ने किया था. कभी नियति को बदलने की कोशिश इन्होनें नहीं की है.