महात्मा गांधी ना केवल भारत के अपितु पूरे विश्व में सम्मानित व्यक्तित्व है.
महात्मा गाँधी के दिखाए गए पथ पर आज भी विश्व के बड़े बड़े राजनेता एवं सुधारक चलते मिल जाते है.
हमारे देश में महात्मा गांधी को चाहने वाले जितने ज्यादा है उतनी ही संख्या महात्मा गांधी को गलत मानने वालों की भी है. बहुत से लोग मानते है कि उनकी वजह से कई क्रांतिकारियों को फांसी हुई थी. वो चाहते तो भगत सिंह को बचा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
सुभाष चन्द्र बोस की नीतियों के साथ भी महात्मा गांधी के मतभेद जग जाहिर है. इन सब के बावजूद भी महात्मा गांधी से घृणा या उन्हें नापसंद करने वाले गांधी की सबसे बड़ी गलती भारत पाकिस्तान के विभाजन को समर्थन देना था.
शायद यही कारण उनकी मृत्यु की वजह बना.
अब चाहे आप महात्मा गांधी का सम्मान करते हो या उनसे घृणा उनकी कही कुछ बाते ऐसी है जो जीवन में उतरने से फायदा ही होता है.
आइये जानते है महात्मा गांधी के कहे वो कथन जो आपकी जिंदगी को बदल सकते है.
ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों.
विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए. जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मर जाता है.
सत्य एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों-ज्यों सेवा की जाती है, त्यों-त्यों उसमे अनेक फल आते हुए नजर आते है, उनका अंत ही नहीं होता.
कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा.
निरंतर विकास जीवन का नियम है, और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वो खुद को गलत स्थिति में पंहुचा देता है.
मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है.
सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन.
जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है.
कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो- हमेशा.
सात घनघोर पाप:
काम के बिना धन; अंतरात्मा के बिना सुख; मानवता के बिना विज्ञान; चरित्र के बिना ज्ञान; सिद्धांत के बिना राजनीति; नैतिकता के बिना व्यापार; त्याग के बिना पूजा.
आदमी अक्सर वो बन जाता है जो वो होने में यकीन करता है.
अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं फ़लां चीज नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच वो करने में असमर्थ हो जाऊं.
इसके विपरीत, अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा लूँगा, भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो.
दुनिया में ऐसे लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता सिवाय रोटी के रूप में.
महात्मा गांधी के कहे गए ये कथन इतने असरकारक है कि पढने मात्र से ही हम सोचने पर मजबूर हो जाते है. ज़रा सोचिये अगर दुनिया के आधे लोग भी इन कथनों को करनी में बदल ले तो विश्व में कितनी शांति हो जाएगी.
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