कला पर कभी किसी का अधिकार नहीं रह पाया है.
हम अगर सोचते हैं कि कला अगर एक खास तरह के लोगों के लिए है, तो यह हमारी गलत सोच है. भारतीय सिनेमा पर वैसे तो आज भी पुरूष फिल्म डायरेक्टर्स का दबदबा चल रहा है, लेकिन ऐसी कुछ महिलायें भी देश में पैदा हुई हैं, जिन्होनें अपनी कला से सभी को हैरान कर दिया.
इन महिला फिल्म निर्देशकों ने अपनी फिल्मों से ना सिर्फ भारत देश में नाम कमाया अपितु देश के बाहर भी इनकी फिल्मों को खूब सराहा गया है.
आइये पढ़ते हैं ऐसी ही कुछ महिलाओं की कहानियों को, इनके संघर्ष को, और सलाम करते हैं इनके जज्बे को…
1. फातिमा बेगम
फातिमा जी भारत की पहली महिला फिल्म निर्देशक हैं. जिस दौर में इन्होनें फिल्म बनाई, तब महिलाओं पर हमारा समाज काफी प्रतिबंध लगाकर रखता था. वर्ष 1926 मे प्रर्दशित फिल्म ‘बुलबुले परिस्तान’ इनकी पहली फिल्म थी, जिसका निर्देशन महिला ने किया था. बेगम जी इस फिल्म की निर्देशक थीं. फिल्म में जुबैदा, सुल्ताना और पुतली ने मुख्य भूमिका निभाई थीं. उस वक़्त की यह एक बड़े बजट की फिल्म थी. फिल्म में काफी अलग तकनीकों का भी प्रयोग किया गया था. इनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. जीवन में वह काफी धार्मिक विचारों की महिला रहीं. और 90 साल की उम्र में इनका देहांत हुआ. अपने दौर की फातिमा बेगम जी सुपरस्टार महिला कलाकार रहीं. आलम आरा फिल्म में इनकी अदाकारी को भी खूब सराहा गया था.
2. दीपा मेहता
दीपा मेहता जी पर हमारा बॉलीवुड हमेशा गर्व करता रहेगा. दीपा जी ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म डायरेक्टर हैं. भारतीय परिवेश के सामाजिक मुद्दों और महिलाओं पर केंद्रित इनकी फ़िल्में हमेशा ख़बरों में रही हैं. जिन लोगों को गंभीर और बेहद संवेदनशील फिल्मों को देखने का क्रेज रहा है, ऐसे लोगों की मांग दीपा जी जरुर पूरी करती रही हैं. 1996 में बनी ‘फायर’, 1998 की ‘अर्थ’ और ‘वाटर’ 2005. इन तीनों ही फिल्मों ने ऑस्कर अवार्ड में प्रवेश किया था. इनका जन्म पंजाब में हुआ था. बचपन इनका दिल्ली में बीता. फायर फिल्म पर भारत में रोक भी लगी दी गयी थी, क्योकि फिल्म में दो महिलाओं के बीच बनते शारीरिक रिश्तों को दिखाया गया था. आज दीपा मेहता जी इंडो-कैनेडियन फिल्म डायरेक्टर के नाम से ज्यादा मशहूर हैं.
3. मीरा नायर
अपनी फिल्मों के जरिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली फिल्मकार मीरा नायर को अपने देश में उतना प्यार नहीं मिल पाया, जिसकी वह हक़दार थीं. इनका जन्म भारत के भुवनेश्वर (उड़ीसा) में हुआ. शुरुआती शिक्षा शिमला और स्नातक इन्होनें डीयू के मिरांडा हाउस से किया. आगे की पढ़ाई के लिए वे अमेरिका चली गईं. मीरा जी ने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत शार्ट फिल्म और डाक्यूमेंट्री से हुआ. सलाम बॉम्बे (1988) ने इनको बॉलीवुड में एक पहचान दिलाई. इनकी पहली ही फिल्म के लिए इन्हें कई पुरस्कार मिले. सलाम बॉम्बे को कांस फिल्म फेस्टिवल में गोल्डेन कैमरा अवार्ड मिला. भारत में सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीतने का गौरव मीरा नायर की इस फिल्म को मिला.
सलाम बॉम्बे (1988) मिसीसिपी मसाला (1991), दि पेरेज़ फेमिली (1995), कामसूत्र: ए टेल ऑफ लव (1996), मॉनसून वैडिंग (2001), वेनिटी फेयर (2004), दि नेमसेक (2006) और एमेलिया (2009). 2012 में आई ‘द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट’को भी देश-विदेश में खूब सराहा गया है. मीरा नायर जैसी महिला फिल्म निर्देशकों ने अपने दम पर, पूरे बॉलीवुड पुरूष निर्देशकों को सबसे ज्यादा टक्कर दी है.
4.रीमा कागती
रीमा कागती जी वर्तमान में सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहने वाली महिला फिल्म निर्देशक हैं. इनकी पिछली फिल्म ‘तलाश’ को भारतीय फ़िल्मी जगत में काफी सराहा गया था. आमिर खान और करीना कपूर ने अपने अभिनय से फिल्म में चार-चाँद लगा दिए थे. इससे पहले रीमा कागती ने अपना फ़िल्मी सफ़र ‘हनी मून ट्रेवल्स’ से सन 2007 में शुरू किया था. इनकी फिल्म तलाश एक कामयाब फिल्म रही, जो कमाई में भी अच्छा करके गयी थी. रीमा जी ने डायरेक्शन से पहले फरहान अख्तर और आशुतोष गोवारीकर जी की टीम में काफी काम सीखा था.
4. किरण राव
आमिर खान की पत्नी किरण राव ने अपनी पहली फिल्म धोबी घाट बनाई थी. फिल्म एक आर्ट सिनेमा से ताल्लुक रखती थी. एक ख़ास वर्ग को यह फिल्म काफी पसंद आई थी. वैसे इसके बाद किरण जी दुबारा निर्देशन में तो नही आयीं हैं, परन्तु ‘धोबी घाट’ में इन्होनें निर्देशन से अपनी एक पहचान बना ली है.
5. जोया अख्तर
अपने भाई, फरहान अख्तर की तरह ही, सिनेमा पर इनकी काफी अच्छी पकड़ रही है. ‘लक बाई चांस’ और ‘जिंदगी मिलेगी ना दोबारा’, इनकी हिट फ़िल्में रही हैं. जोया अख्तर ने बतौर एक्टिंग फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था. साल 1996 में मीरा नायर की फिल्म ‘कामसूत्र: टेल ऑफ लव’ में इनको एक्टिंग करते देखा गया था. आज बॉलीवुड में जोया का नाम एक सफल निर्देशक के रूप में जाना जाता है। जोया की स्कूली पढ़ाई मानेकजी कूपर स्कूल से हुई और जेवियर कॉलेज से उन्होंने बीए की डिग्री हासिल की। इन्होंने फिल्म प्रोडक्शन न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से किया है.
7. अनुषा रिज़वी
पीपली लाइव को हम सभी ने खूब सराहा था. इसकी निर्देशक अनुषा रिज़वी हैं. वह फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में आने से पहले एन.डी.टी.वी. की एक रिपोर्टर थीं। इन्होनें किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं को आधार बना कर एक कहानी लिखी थी और उस पर ही इन्होनें अपनी पहली फिल्म बनाई.
8. फराह खान
फराह खान बॉलीवुड की काफी जानी मानी बॉलीवुड निर्देशिका हैं. फराह ने अब तक ‘मैं हूँ ना’ और ‘ओम शांति ओम’ जैसी बेहतरीन फिल्मों का निर्देशन किया है. टेलीविज़न की दुनिया में भी इन्होनें अच्छा नाम कमा रखा है. वैसे डायरेक्शन से ज्यादा इनको टेलीविज़न की दुनिया में नाम मिला है. इसके साथ ही वह फिल्मों में एक सफल कोरियोग्राफर भी हैं.
9. लीना यादव
महिला निर्देशिको में एक अलग पहचान बनानेवाली लीना यादव कुछ नए की तलाश में रहती हैं। इनकी अब तक दोनों फिल्में हॉलीवुड के निर्देशन से काफी प्रभावित रहीं थीं. इनकी पहली फिल्म थी शब्द और दूसरी तीन पत्ती. इन्होनें दिल्ली के लेडी श्री राम कालेज से स्नातक किया है और मुंबई से जनसंचार की शिक्षा पूरी की है. तीन पत्ती एक बड़ी स्टार कास्ट की फिल्म थी.
10. गौरी सिंधे
गौरी सिंधे बॉलीवुड में अपनी पहली फिल्म इंग्लिश-विंग्लिश को लेकर आयीं. गौरी जी, मशहुर फिल्म निर्देशक आर. बाल्की की पत्नी हैं. इस फिल्म में अपने ज़माने की नामी अभिनेत्री श्रीदेवी जी ने काम किया था. फिल्म लोगों को काफी पसंद आई थी. पुणे में जन्मी गौरी जी ने प्रारंभ में डाक्यूमेंट्री फ़िल्में भी की है.
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