राजनीति

उस वक्त यह शख्स नहीं होता तो गोली सुभाष चंद्र बोस को लगती

कर्नल निजामुद्दीन यदि उस दिन नहीं होते तो जो गोली उनकी कमर में लगी वह गोली नेताजी सुभाष च्रंद बोस को लगती.

भाग्य नेताजी सुभाष च्रंद बोस के साथ था इसलिए गोली उनके पास खड़े कर्नल निजामुद्दीन को लगी.

कर्नल निजामुद्दीन ने बताया था कि नेताजी से उनकी पहली मुलाकात सिंगापुर में हुई थी. उस वक्त वहां पर आजाद हिन्द फौज में भर्ती हो रही थी. वे भी वहां फौज में शामिल हो गए.

ड्राइवर से कर्नल निजामुद्दीन बनने की कहानी बताते हुए निजामुद्दीन ने इस बात का भी खुलासा किया था कि जब वे बर्मा में सुभाष चंद्र बोस के ड्राइवर थे तब नेताजी पर जानलेवा हमला हुआ था.

उस समय किसी अज्ञात व्यक्ति ने नेताजी पर गोलियां भी चलाई थी. लेकिन सौभाग्य से गोली नेताजी को नहीं लगी. लेकिन उस समय नेताजी के पास खड़े निजामुद्दीन की पीठ पर गोली लगी थी. जिसका निशान उनकी पीठ पर अंतिम तक बना हुआ था.

बकौल निजामुद्दीन उनकी पीठ में लगी उस गोली को आजाद हिंद फौज में बतौर डॉक्टर काम करने वाली कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने निकाला था. इसके बाद से ही सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें कर्नल कह कर बुलाना शुरू कर दिया था.

लेकिन जिस वक्त आप कर्नल निजामुद्दीन के बारे में यह खबर पढ़ रहे होंगे तब वे इस दुनिया में नहीं होंगे. 117 साल तक जीवित रहने के बाद 6 फरवरी को सुभाष चंद्र बोस के अंतिम सहयोगी कर्नल निजामुद्दीन ने हम सब से विदा हो गए.

गौरतलब है कि आजाद हिंद फौज में शामिल कर्नल निजामुद्दीन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ड्राइवर थे. उनका असली नाम सैफुद्दीन था और वर्तमान वे आजमगढ़ के मुबारकपुर इलाके में रह रहे थे.

बताया जाता है कि पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे नेताजी के अंतिम सहयोगी 117 वर्षीय कर्नल निजामुद्दीन को शायद अपनी मौत का आभास हो गया था. अपनी मृत्यु से कुछ दिन उन्होंने बक्से में रखी आजाद हिंद फौज वाली अपनी टोपी को अपने बेटे से कहकर निकलवाया और उसका पहनना शुरू कर दिया था.

गौरतलब है कि 2014 के आम चुनावों के दौरान वाराणसी में अपने प्रचार के दौरान प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी ने भी निजामुद्दीन को स्टेज पर बुलाकर उनका सार्वजनिक अभिनन्दन किया था.

नरेंद्र मोदी ने मंच पर उनके चरण छूकर उस वक्त फिर से सुर्खियों में ला दिया था.

इसके बाद वे उस वक्त भी सुर्खियों में आए जब नेताजी से जुड़ी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने का काम शुरू हुआ था.

Vivek Tyagi

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