बहुत हुआ हवस का नंगा नाच!
बहुत हुआ लड़कियों की इज़्ज़त के साथ खिलवाड़!
हिंदुस्तान में पहला ऐसा कानून जो शायद लड़कियों के खिलाफ हो रहे अन्याय पर कहीं रोक लगा पाये!
आखिर किसी कोर्ट ने तो सुनाया लड़कियों के हक़ में उन के फायदे का फैसला! जी हाँ!
महिलाओं से बढ़ते दुष्कर्म के मामलों को देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया। यह फैसला रेप पीड़िताओं के पक्ष में सुनाया गया! इस बात की सब से ज़्यादा ख़ुशी है हमें!
फैसले के अनुसार अब रेप से जन्मे बच्चे का अपने जैविक पिता की संपति में अधिकार होगा। हॉलांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि यह फैसला उस पर्सनल लॉ के अनुसार होगा जिससे बच्चे का ताल्लुक है। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि उस बच्चे को अपने जैविक पिता की नाजायज संतान माना जाएगा। अगर बच्चे को कोई और गोद लेता है तो फिर बच्चे के पास पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नही होगा। एक 13 साल की रेप पीड़िता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जस्टिस साबिलहुल हसनैन और जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खुडपीठ ने सरकार को आदेश दिए है कि वो इस बच्ची को 10 लाख रुपये की अदा करे। कोर्ट ने सरकार को बच्ची के व्यस्क हो जाने पर उसे नौकरी दिलाने की भी बात की है।
कोर्ट ने उस बच्ची की की पहचान छुपाने के लिए उसके नाम की जगह ‘ए’ नाम का इस्तमाल किया। यह छोटी 13 साल की बच्ची एक आर्थिक रुप से कमजोर परिवार से ताल्लुक रखती है। इसी साल उसके साथ रेप की घटना घटित हुई जिसके बाद वो गर्भवती हो गई। हाल ही में उसने एक बच्ची को जन्म दिया है। जब तक पीड़िता के परिवार को उसके गर्भवती होने की बात पता चली तब तक गर्भपात करवाने के लिए तय 21 सप्ताह का समय खत्म हो चुका था। उसके परिवार ने कोर्ट मे गर्भपात करवाने की याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने डॉक्टर्स को उसके गर्भपात और उससे होने वाले असर के बारे में बताने को कहा। जिसके डॉक्टर्स ने कोर्ट को बताया कि गर्भपात करवाने से पीड़िता की जान भी जा सकती है।
बच्ची के अभिभावकों ने कहा की वे नहीं चाहते की वो बच्चे को जन्म दे क्योंकि क्योकि बच्चे के साथ समाज में उसकी स्थिति शर्मनाक हो जाएगी।
आखिरकार सही फैसला लेने के लिए कोर्ट ने एक बहुत ही बढ़िया क़दम उठाया!
कोर्ट ने एक वरिष्ठ पैनल बनाकर उनसे बलात्कार से पैदा हुए बच्चों को जायदाद में अधिकार देने वाले मुद्दे पर अपनी राय देने को कहा। पैनल ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार उत्तराधिकारी से संबंधित मुद्दे में बच्चे के जन्म की परिस्थितिया अप्रसांगिक है। बच्चे के जायदाद के हिस्से संबंधित अधिकार नियम उस व्यक्ति या परिवार के पर्सनल लॉ के द्वारा तय किए जाते है। जिस बच्चे ने जन्म लिया है वो रेप को नतीजा है या मर्जी से बनाए हुए संबंध का, यह अप्रसांगिक है। इसलिए नवजात बच्चे के उत्तराधिकार संबंधी नियम उस पर्सनल लॉ के मुताबिक होगा जिससे बच्चे और उसके परिवार का संबंध है। इसलिए बच्चे का उस जैविक पिता की नाजायज संतान माना जाएगा।
और अपने बायोलॉजिकल पिता की संपत्ति पर नाजायज़ बच्चे का सम्पूर्ण अधिकार होगा, जब तक की उस बच्चे को कानूनी तौर पर गोद नहीं दे दिया जाता! रेप पीड़िता अगर किसी बच्चे को जन्म देती है तो अपने बच्चे की ख़ातिर रेप करने वाले पर जायदाद में हक़ का केस थोक सकती है!
बलात्कार पीड़िता के विषय में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने यह फैसला भी सुनाया कि उसके लिए आर्थिक मुआवजा काफी नही होगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि रेप पीड़िताओं और उससे जन्मे बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दिया जाए और उनके पुर्नवास का भी इंतजाम किया जाए।
ये हुई न बात! अब आएगा मज़ा! अब करो रपे! अब करो नाजायज़ बच्चे पैदा!
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