ग़ुलाम वंश दिल्ली में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 1206 ई. में स्थापित किया गया था.
यह वंश 1290 ई. तक शासन करता रहा. इसका नाम ग़ुलाम वंश इस कारण पड़ा कि इसका संस्थापक और उसके इल्तुतमिश और बलबन जैसे महान उत्तराधिकारी प्रारम्भ में ग़ुलाम अथवा दास थे और बाद में वे दिल्ली का सिंहासन प्राप्त करने में समर्थ हुए.
कुतुबुद्दीन 1206-10 ई. मूलत: शहाबुद्दीन मोहम्मद ग़ोरी का तुर्क दास था और 1192 ई. के ‘तराइन के युद्ध’ में विजय प्राप्त करने में उसने अपने स्वामी की विशेष सहायता की. उसने अपने स्वामी की ओर से दिल्ली पर अधिकार कर लिया था.
कुतुबुद्दीन के लिए लिखी गयी यह बातें, आप सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्ड की पुस्तकों में पढ़ सकते हैं. यहाँ आप पढ़ेंगे कि कुतुबुद्दीन ऐबक एक महान राजा था और उसने देश की एकता-अखंडता के लिए काम किया था.
लेकिन आज हम आपको कुतुबुद्दीन ऐबक के दुष्कर्म बताने वाले हैं. यह सब बातें जो आपको हम बतायेंगे इन बातों को न्यायमूर्ति के.एम पाण्डेय की पुस्तक VOICE OF CONSCIENCE नामक पुस्तक में पढ़ सकते हैं. ना जाने क्यों आपको इस सच्चाई से वाकिफ नहीं किया जाता है.
न्यायमूर्ति के.एम पाण्डेय ने अपनी पुस्तक में त्वारीख ताजुल के कुछ प्रमाण देते हुए लिखा गया है कि
संवत 1263 विक्रमी विच जद कुतुबुद्दीन एबक बादशाह ने मेरठ शहर राणे बंसपाल पासों छुडाया ता सत सत सौ ‘700’ बड़े-बड़े देवाले तोड़ के मसीतां बनाई. ते बसंपाल दे कुटम्ब दा तीन ‘3000’ जीव कतल कराया.
जिस आर्य ने इस्लाम न कबूल कीता, ओहे मौत ते घाट उतार दिया. एक लाख तेती हजार.
जी हाँ. अब अगर इसका हिंदी अनुवाद हो तो यहाँ बताया गया है कि कुतुबुद्दीन ने शहर के कई मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाई हैं. इस अनुमान के तहत तो मेरठ की कई मस्जिदें, पहले मंदिर रही होंगीं.
इसके बाद इस महान राजा ने 3000 बे जुबान जानवरों का क़त्ल करा दिया. अब जिस राजा को कत्लेआम में इतना मजा आ रहा था क्या उसको महान बोला जा सकता है?
सबसे अंत में बताया गया है कि एक लाख तैतीस हजार लोग मार दिए गये थे. तो इतना सब कत्लेआम कुतुबुद्दीन जैसे महान राजा ने किया था.
इस राजा का सबसे बड़ा मकसद यही था कि भारत में कैसे भी कैसे इस्लाम को बढ़ाया जाए और यहाँ का धन लुटा जाए. किन्तु हम अपने बच्चों को खुश होकर कुतुबमीनार का सच बताते हैं. लेकिन कभी नहीं बताते हैं कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने महिलाओं की इज्जत लुटी थी और हिन्दुओं का कत्लेआम कराया था.
छोटे से कार्यकाल में बड़ा जिहाद
ऐसा बोला जाता है कि कुतुबुद्दीन ने अपने छोटे से कार्यकाल में बड़ा जिहाद कर दिया था. अगर यह और सालों तक सत्ता पर रहता तो भारत पूरी तरह से मुस्लिमों का देश बन चुका होता.
कुछ जगह पर तो यह भी सबूत दिए गये हैं कुतुबमीनार, कुतुबुद्दीन ने नहीं बनवाई है. यहाँ के 27 मंदिरों को तोड़ दिया गया ताकि कोई भी इस जगह को पहचान न सके. बाद में खूबसूरत कल को अपना बना लिया. लेकिन आज तक कहीं नहीं लिखा है कि कुतुबुद्दीन इसका प्रयोग किस लिए करता था?
इस्लाम के अन्दर कहीं भी किसी भी तरह की मूर्ति नहीं बनाई जा सकती है. जबकि ये लोग ना तो चित्रकारी कर सकते हैं और ना ही फोटोग्राफी कर सकते हैं. तो कुतुबमीनार में चित्रकला किस मुस्लिम राजा ने बनवाई थीं.
तो अब आगे का अध्ययन आपको खुद शुरू कर देना चाहिए ताकि आप कुतुबुद्दीन ऐबक के असली इतिहास से वाकिफ हो जाएँ. भारत को इस्लाम देश बनाने आया यह गुलाम, देश में कत्लेआम करके गया और हजारों मंदिरों को तोड़ गया. लेकिन हम आज भी इसे महान राजा बोलते हैं.