ऐसा बोला जाता था कि ऋषि अगस्त्य ने विश्व के सभी समुद्रों का जल पी लिया था.
इसका तात्पर्य यह नहीं है कि यह जल इन्होनें पेट में उतार लिया था. इसका अर्थ यह है कि अगस्त्य ऋषि सात समुद्रों की यात्रा कर चुके थे. समुद्र पर विजय प्राप्त करने के लिए अगर किसी महात्मा का नाम आता है तो वह इन्हीं का नाम है. इन्होनें ना सिर्फ सनातन धर्म का प्रचार पूरे विश्व में किया था बल्कि विश्व के कई देशों में कृषि और पशुपालन का भी ज्ञान लोगों को दिया था.
क्या कहते हैं हिन्दू धर्म शास्त्र
अगस्त्य ऋषि को लेकर हमारे वेदों में कई कथायें लिखी हुई है.
राम के समय दक्षिण में इनके आश्रम का जिक्र आया है. जब यह विश्वभर का भ्रमण कर रहे थे तब पानी के जहाज या अन्य सुविधा जनक चीजें नहीं होती थीं, बल्कि यह हाथ वाली पतवार से ही विश्वभर में हिन्दू धर्म का प्रचार करते हुए घूम रहे थे. ऐसा बोला जाता है कि यह ऋषि कुछ 5000 साल तक जीवित रहे थे.
महर्षि अगस्त्य के भारतवर्ष में अनेक आश्रम मौजूद हैं. उत्तराखंड से लेकर तमिलनाडु तक इनके कई आश्रम आज भी हैं. कहते हैं कि एक बार महर्षि ने तप करके आतापी-वातापी नामक दो असुरों का वध किया था. भारत के कई राज्यों में इनकी पूजा इष्टदेव के रुप में आज भी होती है.
क्या है सबूत कि अगस्त्य ऋषि ने विश्वभर का क्या था भ्रमण?
तो सबूत के लिए आप कम्बोडिया के शिव मंदिरों की निर्माण गाथा को पढ़ सकते हैं. अगर आप कम्बोडिया के भी इतिहास को पढेंगे तो आपको यहाँ कई तरह की रोचक जानकारी पढ़ने को मिलेगी और यहीं पर पता लगेगा कि कम्बोडिया में इस ऋषि ने मंदिरों के निर्माण के अलावा, यहाँ के लोगों को कृषि करना भी सिखाया था.
कम्बोडिया से आगे बोरनियों तक अगस्त्य ऋषि गये थे. यहाँ जहाँ-जहाँ हिन्दू संस्कृति मौजूद है उसका पूरा श्रेय इसी ऋषि को जाता है.
जावा द्वीप समूह में भी अगस्त्य ऋषि का नाम आया है. इसके अलावा अमेरिका तक का भ्रमण अगस्त्य ऋषि ने किया था. आर्य परिवार से होने के कारण इनको घूमना बहुत पसंद था.
मार्शल आर्ट भी इनको आती थी
कई जगह ऐसा भी जिक्र है कि अगस्त्य ऋषि को मार्शल आर्ट भी आती थी और भारत के अन्दर इस आर्ट को बढ़ाने का काफी श्रेय अगत्स्य ऋषि को ही जाता है.
तो अब अगस्त्य ऋषि के पूरे इतिहास को देखने का जब आप प्रयास करेंगे तब आपको नजर आएगा कि जो लोग भारत की खोज करने का दम भरते हैं वह गलत हैं क्योकि विश्व के कई देश तो हमारे ऋषियों ने ही खोजे थे और ऋषियों के बताये गये रास्तों पर चलकर यह लोग भारत पहुंचे थे.